आपने अपने शहर में हर सुबह पैदल या रिक्शा पर सड़कों पर बोरा अपने कंधे पर टांगे हुए बच्चों को अवश्य देखा होगा जो कूड़े के ढेर में से अपने मतलब की ऐसी वस्तुएं तलाशते फिरते हैं जिनको रद्दीवालों को बेचकर वह अपने घर के लिये दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करते हैं ! परन्तु आपने ऐसा कोई स्कूल भी देखा है क्या जो समाज के इस अवांछित माने जाने वाले तबके के बच्चों के लिये खोला गया हो और जहां उनको न सिर्फ शिक्षा दी जाती हो, बल्कि उनको समाज की मुख्य धारा में शामिल करने का हर संभव प्रयास भी किया जाता हो? नहीं न? तो आइये, हम आपको मिलवाते हैं ऐसे ही एक स्कूल से जिसकी स्थापना हद दर्ज़े का जुनून लिये चल रही उत्साही युवाओं की एक टीम चला रही है जिसका नेतृत्व कर रहे हैं – अजय सिंहल जो जीविका की दृष्टि से तो भारतीय जीवन बीमा निगम के एक कर्मचारी हैं किन्तु उन्होंन अपनी पहचान एक ऐसे ऊर्जावान व्यक्तित्व की बनाई है जो समाज में दिखाई दे रही समस्याओं को लेकर सिर्फ बातें नहीं करता रहता, बल्कि उन समस्याओं का समाधान तलाशने के लिये खुद आगे बढ़ कर प्रयास करता है।
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